क्या सीरत कमेटी सिर्फ चांद और ईद-ए-मिलाद के लिए है? युवाओं ने समिति के कामकाज पर उठाया सवाल ?
पुणे - पुणे शहर में हर साल की तरह इस साल भी मुहम्मद पैगंबर साहब की जयंती 16 सितंबर 2024 को होने वली ठी. लेकिन चूंकि कुछ स्थानों पर 16 सितंबर को गणेश विसर्जन जुलूस चल रहा है, इसलिए मुस्लिम समुदाय के युवाओ, संगठनों और वरिष्ठ सदस्योंने पुलिस से परामर्श के बाद घोषणा की है कि 16 सितंबर से शुरू होने वाला जुलूस 21 सितंबर, 2024 शनिवार को आयोजित किया जाएगा। लेकिन चूंकि सीरत कमेटी ने युवा बोर्ड को विश्वास में लिए बिना अकेले ही फैसला ले लिया, इसलिए युवाओं ने इसका विरोध किया है. कुछ दिन पहले ईद-ए-मिलाद के मौके पर पुणे सिटी पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर रंजन कुमार शर्मा ने एक वीडियो के जरिए निर्देश जारी किया था कि, इस बार ईद-ए-मिलाद के दिन डीजे (DJ) नहीं बजेंगे. पुणे पुलिस द्वारा अनुमति दी नही जाएगी? इस वीडियो के बाद युवाओं ने समिति के आचरण के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया. इसके बाद जब वे पुणे लश्कर पुलिस स्टेशन गए और अनुमति मांगी तो लश्कर पुलिस ने आवेदन स्वीकार नहीं किया और कुछ युवाओ के साथ दुरव्यवहार करते हुवें युवा मंडल के कुछ कार्यकर्ताओं को भगा दिया. पुलिस की ऐसी भूमिका से युवाओं ने नाराजगी जताई है। हमें अपनी खुशियाँ कुचलने का अधिकार किसने दिया? अगर सीरत कमेटी सुबह जुलूस निकालना चाहती है तो क्या उन्हें सुबह खुशाल निकालना चाहिए? लेकिन क्या युवाओं का बिल्कुल भी मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए? हम ये भी जानते हैं कि ये पैगंबर साहब की शिक्षा नहीं है कि डीजे बजाना चाहिए. लेकिन हम केवल कव्वाली और नात बजाने जा रहे हैं। हर साल 200 से अधिक मंडल भाग लेते हैं। पुलिस को सीरत कमेटी का पक्ष नहीं लेना चाहिए और हमारे साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए? सभी मंडलो ने पुलिस आयुक्त से अनुरोध किया है कि पुलिस प्रशासन इस पर तत्काल संज्ञान ले.
पुणे के वरिष्ठ पुलिस प्रशासन को मुस्लिम समुदाय के महत्वपूर्ण त्योहार को पारंपरिक तरीके से मनाने में कोई बाधा नहीं डालनी चाहिए। और जैसे सभी धर्मों को त्योहार मनाने की अनुमति है, वैसे ही मुस्लिम समुदाय समूहों को भी अनुमति दी जानी चाहिए। ऐसी स्थिति मुस्लिम युवाओं ने व्यक्त की है.
मंडल में युवाओं और उनकी मदद करने वालों पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है...
सूत्रों से जानकारी मिली है कि 258 बोर्ड के चेयरमैन और उनकी कमेटी के कार्यकर्ताओं पर कार्य बहिष्कार किया जाएगा और झूठे आरोप लगाए जाएंगे. साथ ही पुणे में इस समय पत्रकारों, वकीलों, पुलिस, सामाजिक कार्यकर्ताओं और उनकी मदद करने वाले राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाने की तस्वीर सामने आ रही है।